अकबर और बीरबल की कहानी: "जानवरों की भाषा"
अकबर बादशाह के दरबार में बीरबल एक बुद्धिमान और चालाक सेवक थे। एक बार, अकबर ने बीरबल को एक चुनौती दी। उन्होंने कहा, "बीरबल, यदि तुम जानवरों की भाषा समझ सकते हो, तो मैं तुम्हें एक बड़ा इनाम दूंगा।"
बीरबल ने सोचा कि यह एक असंभव कार्य है, लेकिन उन्होंने अकबर को निराश नहीं करना चाहा। उन्होंने कहा, "मैं कोशिश करूंगा, महाराज।"
अगले दिन, बीरबल जंगल में गए। वहां उन्होंने एक शेर को देखा जो एक हिरण का पीछा कर रहा था। बीरबल ने शेर से कहा, "शेर भाई, क्या तुम जानते हो कि आज राजा अकबर ने तुम्हें पकड़ने का आदेश दिया है?"
शेर हैरान हो गया और कहा, "क्या? यह कैसे हो सकता है? मैं राजा का सेवक हूं।"
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं जानता हूं, शेर भाई। लेकिन राजा ने सोचा है कि तुम उनके लिए खतरनाक हो।"
शेर ने बीरबल का धन्यवाद किया और जंगल में भाग गया।
जब बीरबल दरबार में लौटे, तो अकबर ने उनसे पूछा, "क्या तुम जानवरों की भाषा समझ सकते हो?"
बीरबल ने कहा, "हां, महाराज। मैंने शेर से बात की है।"
अकबर ने बीरबल से शेर के साथ क्या बात की थी, पूछा। बीरबल ने शेर की बात सुनाई।
अकबर ने बीरबल की बुद्धि की प्रशंसा की और उन्हें एक बड़ा इनाम दिया। इस कहानी से पता चलता है कि बुद्धि और चालाकी किसी भी चुनौती का सामना करने में मदद कर सकती है।
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