• 2. मनुष्य जन्म से ही पापी है (मरकुस ७:२०-२३)

  • 2022/12/08
  • 再生時間: 21 分
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2. मनुष्य जन्म से ही पापी है (मरकुस ७:२०-२३)

  • サマリー

  • सबसे पहले, मैं आपको एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। आप खुद को किस रीति से देखते है? क्या आप सोचत है की आप अच्छे या बुरे है? आप क्या सोचते है?
    सभी लोग अपनें भ्रम में जी रहा है। आप जितना सोचते है उतने बुरे नहीं है, ओर जितना सोचते है उतने अच्छे भी नहीं है।
    तो फिर विश्वास का अच्छा जीवन कौन जी सकता है? क्या वह व्यक्ति जो अपने आप को बहुत ही अच्छा मानती है? या फिर वो व्यक्ति जो अपने आप को बुरा मानता है?

     

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    https://youtube.com/@TheNewLifeMission 
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あらすじ・解説

सबसे पहले, मैं आपको एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। आप खुद को किस रीति से देखते है? क्या आप सोचत है की आप अच्छे या बुरे है? आप क्या सोचते है?
सभी लोग अपनें भ्रम में जी रहा है। आप जितना सोचते है उतने बुरे नहीं है, ओर जितना सोचते है उतने अच्छे भी नहीं है।
तो फिर विश्वास का अच्छा जीवन कौन जी सकता है? क्या वह व्यक्ति जो अपने आप को बहुत ही अच्छा मानती है? या फिर वो व्यक्ति जो अपने आप को बुरा मानता है?

 

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