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サマリー
あらすじ・解説
श्लोक 9 एकदन्तञ् चतुर्हस्तम्,पाशमङ्कुशधारिणम् ।रदञ् च वरदम् हस्तैर्बिभ्राणम्,मूषकध्वजम् ।रक्तं लम्बोदरं,शूर्पकर्णकम् रक्तवाससम् ।रक्तगन्धानुलिप्ताङ्गम्,रक्तपुष्पैःसुपूजितम् ।भक्तानुकम्पिनन् देवञ्,जगत्कारणमच्युतम् ।आविर्भूतञ् च सृष्ट्यादौ,प्रकृतेः पुरुषात्परम् ।एवन् ध्यायति यो नित्यंस योगी योगिनां वरः || अर्थात :- भगवान गणेश एकदन्त चार भुजाओं वाले हैं जिसमे वह पाश,अंकुश, दन्त, वर मुद्रा रखते हैं | उनके ध्वज पर मूषक हैं | यह लाल वस्त्र धारी हैं | चन्दन का लेप लगा हैं | लाल पुष्प धारण करते हैं | सभी की मनोकामना पूरी करने वाले जगत में सभी जगह व्याप्त हैं | श्रृष्टि के रचियता हैं | जो इनका ध्यान सच्चे ह्रदय से करे वो महा योगि हैं | श्लोक 10 नमो व्रातपतये, नमो गणपतये,नमः प्रमथपतये,नमस्ते अस्तु लम्बोदराय एकदन्ताय,विघ्ननाशिने शिवसुताय,वरदमूर्तये नमः || अर्थात :– व्रातपति, गणपति को प्रणाम, प्रथम पति को प्रणाम, एकदंत को प्रणाम, विध्नविनाशक, लम्बोदर, शिवतनय श्री वरद मूर्ती को प्रणाम | Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices