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है जरूरत प्रेम की प्रभु को रिझाने के लिए।।स्वर सेवा: *किशोरी दासी (अंजुना जी)*
- 2024/05/16
- 再生時間: 4 分
- ポッドキャスト
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サマリー
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あらすじ・解説
*जय गौर हरि* है जरूरत प्रेम की प्रभु को रिझाने के लिए।। देख दुर्योधन के मेवे, खाए नहीं भगवान ने। घर विदुर के आ गए छिलके चबाने के लिए।। रूखे सूखे देखकर चावल सुदामा के प्रभु। कैसे ललचाए प्रभु तंदुल चबाने के लिए।। प्रेम है जिनके हृदय में सच्चा पुजारी है वही। यूं तो फिरते हैं हजारों घंटी बजाने के लिए।। है जरूरत प्रेम की प्रभु को रिझाने के लिए।। स्वर सेवा: *किशोरी दासी (अंजुना जी)*