• महारानी अवन्तीबाई - सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम की एक साहस भरी चिंगारी | नारी

  • 2024/10/29
  • 再生時間: 8 分
  • ポッドキャスト

महारानी अवन्तीबाई - सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम की एक साहस भरी चिंगारी | नारी

  • サマリー

  • जब दुश्मन ने रामगढ़ को हड़पने की नीति बनायी तब इस रानी ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए पड़ोसी राज्यों के राजाओं एवं जमींदारों को पत्र के साथ कांच की चूडिय़ां भी भिजवाईं और पत्र में लिखा- देश की रक्षा के लिए या तो कमर कस लो या कांच की चूडिय़ां पहन कर बैठो, तुम्हें अपने धर्म-ईमान की सौगंध, जो इस कागज में लिखा पता बैरी को दिया।

    इस संदेश को जिसने भी पढ़ा वह देश के प्रति अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर हो उठा, सुनिए इस साहस भरी गाथा को और जानिये भारतीय इतिहास की एक वीरांगना अवंतीबाई को |

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示

あらすじ・解説

जब दुश्मन ने रामगढ़ को हड़पने की नीति बनायी तब इस रानी ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए पड़ोसी राज्यों के राजाओं एवं जमींदारों को पत्र के साथ कांच की चूडिय़ां भी भिजवाईं और पत्र में लिखा- देश की रक्षा के लिए या तो कमर कस लो या कांच की चूडिय़ां पहन कर बैठो, तुम्हें अपने धर्म-ईमान की सौगंध, जो इस कागज में लिखा पता बैरी को दिया।

इस संदेश को जिसने भी पढ़ा वह देश के प्रति अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर हो उठा, सुनिए इस साहस भरी गाथा को और जानिये भारतीय इतिहास की एक वीरांगना अवंतीबाई को |

See omnystudio.com/listener for privacy information.

महारानी अवन्तीबाई - सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम की एक साहस भरी चिंगारी | नारीに寄せられたリスナーの声

カスタマーレビュー:以下のタブを選択することで、他のサイトのレビューをご覧になれます。