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  • 2024/09/09
  • 再生時間: 25 分
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  • サマリー

  • मनीषा मेटल हास्पीटल जा कर जब उसे सैल के डोर के ग्लास व्यू से देखती है तो रिषभ अपने बैड पर बैठा रहता है और उसके दोनो कंधे बुरी तरह से झुके रहते है। तो मनीषा उसी ग्लास व्यू से पोलराइड कैमरे से फोटो खि्ांचती है तो वस तस्वीर मे देखती है कि वो नैंसी की प्रेतात्मा अभी भी रिषभ के कंधे पर बैठी हुयी है। और गुस्से से मनीषा के कैमरे की तरफ ही देख रही थी। इसी लिए उसके दोनो ही कंधे झुके रहते है। मनीषा समझ जाती है कि अब कुछ भी कर पाना उसके क्या किसी के भी बस की बात नही है। वो चुपचाप से.......

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あらすじ・解説

मनीषा मेटल हास्पीटल जा कर जब उसे सैल के डोर के ग्लास व्यू से देखती है तो रिषभ अपने बैड पर बैठा रहता है और उसके दोनो कंधे बुरी तरह से झुके रहते है। तो मनीषा उसी ग्लास व्यू से पोलराइड कैमरे से फोटो खि्ांचती है तो वस तस्वीर मे देखती है कि वो नैंसी की प्रेतात्मा अभी भी रिषभ के कंधे पर बैठी हुयी है। और गुस्से से मनीषा के कैमरे की तरफ ही देख रही थी। इसी लिए उसके दोनो ही कंधे झुके रहते है। मनीषा समझ जाती है कि अब कुछ भी कर पाना उसके क्या किसी के भी बस की बात नही है। वो चुपचाप से.......

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