• Dara Shikoh | वो मुग़ल शहज़ादा, जिसका कटा सिर दिल्ली की गलियों में घूमा

  • 2021/11/01
  • 再生時間: 10 分
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Dara Shikoh | वो मुग़ल शहज़ादा, जिसका कटा सिर दिल्ली की गलियों में घूमा

  • サマリー

  • साल 1658। मई का महीना। जगह: आगरा से यही कोई पांचेक कोस दूर यमुना किनारे सामूगढ़। दो शहजादे आमने-सामने। तख्त या ताबूत की इस लड़ाई में बड़ा भाई हार गया। जंग के मैदान से उधर की ओर भागा, जहां से उसके पुरखे हिंदुस्तान आए थे, लेकिन एक बलूच सरदार ने धोखा दे दिया। शाहजादा कैद कर लिया गया। फिर आया 8 सितंबर 1659 का वह दिन, जब दिल्ली की सड़कों पर एक परेड निकली
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あらすじ・解説

साल 1658। मई का महीना। जगह: आगरा से यही कोई पांचेक कोस दूर यमुना किनारे सामूगढ़। दो शहजादे आमने-सामने। तख्त या ताबूत की इस लड़ाई में बड़ा भाई हार गया। जंग के मैदान से उधर की ओर भागा, जहां से उसके पुरखे हिंदुस्तान आए थे, लेकिन एक बलूच सरदार ने धोखा दे दिया। शाहजादा कैद कर लिया गया। फिर आया 8 सितंबर 1659 का वह दिन, जब दिल्ली की सड़कों पर एक परेड निकली

Dara Shikoh | वो मुग़ल शहज़ादा, जिसका कटा सिर दिल्ली की गलियों में घूमाに寄せられたリスナーの声

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